ये हैं होम लोन पर टैक्स बचाने के तरीके
हम सभी जानते हैं कि मकान खरीदना खर्चीला काम है। रीयल एस्टेट की कीमतों को देखते हुए इसके लिए वास्तव में काफी धन की जरूरत पड़ती है। ऐसे में बगैर होम लोन के आवासीय इकाई खरीदना लगभग असंभव है। होम लोन एक ऐसी कर्ज सुविधा है जिसमें ब्याज दर सस्ती होती है और भुगतान अवधि लंबी। यही नहीं, साथ में कर बचत का लाभ भी मिलता है। इससे होम लोन लेना वाकई में आकर्षक हो जाता है।
आयकर कानून के तहत होम होने लेने में टैक्स के कई फायदे हैं। इसके दो हिस्से हैं - ब्याज और मूलधन। दोनों में ही आपको टैक्स का लाभ मिलता है। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तो का पालन करना जरूरी है। धारा 80 सी में मूल धन पर डिडक्शन धारा 80 सी के तहत कोई व्यक्ति अथवा हिंदू संयुक्त परिवार (एचयूएफ) मूलधन के भुगतान पर टैक्स में छूट का दावा कर सकता है।
ठीक उसी तरह जैसे जीवन बीमा प्रीमियम, एनएससी, ईपीएफ, ईएलएसस तथा स्टांप ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन शुल्क पर मिलता है। इसके तहत कुल मिलाकर सालाना एक लाख रुपये तक का डिडक्शन संभव है। ध्यान रहे डिडक्शन केवल आवासीय मकान के लोन पर है।
कामर्शियल प्रापर्टी के लिए नहीं। इसके अलावा यह केवल मकान की खरीद या निर्माण पर उपलब्ध है, मकान के नवीनीकरण, मरम्मत अथवा कुछ नया जोडऩे के लिए नहीं। यदि आपने बैंक, हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (एचएफसी) केंद्र अथवा राज्य सरकार, एलआइसी, एनएचबी, पब्लिक कंपनी या सार्वजनिक क्षेत्र उपक्राम से होम लोन लिया है तो ही प्रिंसिपल एमाउंट पर टैक्स बचत का दावा कर सकते हैं।
केंद्रीय या राज्य स्तरीय कानून के तहत स्थापित यूनिवर्सिटी अथवा स्थानीय निकाय या निगम भी इस श्रेणी में आते हैं। होम लोन से खरीदे गए मकान को यदि आप कब्जे वाले साल के आखिर से पांच साल के भीतर बेचते हैं तो पिछले सालों में दी गई डिडक्शन की सारी सुविधा वापस ले ली जाएगी। इस राशि को उस साल की आय माना जाएगा जिस साल मकान बेचा गया होगा। इतना ही नहीं, उस साल मूल धन के भुगतान पर धारा 80 सी के तहत डिडक्शन की अनुमति भी नहीं होगी।
धारा 24 (बी) के तहत ब्याज पर डिडक्शन मूल धन के अलावा होम लोन पर अदा किए गए ब्याज पर भी डिडक्शन की सुविधा धारा 24 (बी) के तहत उपलब्ध है। यह मकान की खरीद, निर्माण के अलावा मौजूदा मकान की मरम्मत अथवा पुननिर्माण के लिए भी मिलती है। इसी तरह यह रिहायशी के साथ-साथ कामर्शियल प्रापर्टी पर भी उपलब्ध है। होम लोन की प्रोसेसिंग फीस को भी ब्याज के रूप में दर्शाया जा सकता है। होम लोन के समय पूर्व भुगतान (प्रीपे) की स्थिति में आप प्रीपेमेंट फीस पर डिडक्शन का दावा भी कर सकते हैं। यहां तक कि बैंकों या वित्तीय संस्थानों के अलावा दोस्त अथवा रिश्तेदार से लिए गए लोन पर भी डिडक्शन की सुविधा भी इसमें उपलब्ध है।
खुद की रिहाइश वाले मकान के अलावा किराये पर उठाए गए मकान पर भी डिडक्शन उपलब्ध है। खुद की रिहाइश के मामले में डिडक्शन की सालाना सीमा डेढ़ लाख रुपये तक है। जबकि किराये पर उठाए गए मकान के मामले में आप पूरे ब्याज पर डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। यदि आपके पास एक से ज्यादा खुद की रिहाइश के मकान हैं तो आपको डिडक्शन के लिए उनमें से एक का चयन करना पड़ेगा। बाकी को किराये पर उठा माना जाएगा। ऐसे मामले में दूसरे मकानों पर टैक्स छूट के लिए आपको अनुमानित किराया दिखाना होगा और आप पूरे ब्याज तक पर डिडक्शन का दावा कर सकते हैं।
यदि किसी एक मकान या सभी मकानों पर लिए होम लोन पर ब्याज डेढ़ लाख रुपये से अधिक है तो अधिकतम कर लाभ प्राप्त करने के लिए कम ब्याज वाले मकान को सेल्फ आक्यूपाइड दिखाना उचित रहेगा। निर्माणाधीन मकान के मामले में आप केवल उस साल के लिए ब्याज डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं जिस साल निर्माण पूरा हुआ हो और कब्जा लिया गया हो। परंतु कब्जे वाले साल से पहले अदा किए गए ब्याज के लिए आप पिछले सभी सालों के ब्याज पर डिडक्शन का दावा कर सकते हैं। तब आपको निर्माण पूर्ण होने वाले साल से आगे के सालों के कुल ब्याज पर डिडक्शन का पांच समान किश्तों में दावा करना होगा।